बेमेतरा

प्रेस क्लब महासमुंद के पत्रकार साथियों ने सपरिवार पुरातत्व स्थल सिरपुर का भ्रमण किया

प्रेस क्लब महासमुंद के पत्रकार साथियों ने सपरिवार पुरातत्व स्थल सिरपुर का भ्रमण किया

प्रभात महंती 

महासमुंद : विगत 7 जनवरी रविवार को प्रेस क्लब महासमुंद के पत्रकार साथियों ने सपरिवार पुरातत्व स्थल सिरपुर, धार्मिक स्थल तुरतरिया और पर्यटन स्थल बार नवापारा अभ्यारण्य का भ्रमण किया। यह प्रेस क्लब महासमुंद का सालाना पारिवारिक भ्रमण था। इस दौरान सभी ने गंधेश्वर महादेव, बाल्मीकि आश्रम लव-कुश जन्मस्थली, महाकाली दरबार और बार अभ्यारण के खूबसूरत मोर, हिरण, बारहसिंघे, हाथी, काले हिरण आदि वन्य जीवों को देखा और देर रात महासमुंद वापिसी हुई। 

रविवार की  प्रेस क्लब भवन से सुबह 9 बजे के करीब बस द्वारा सभी सिरपुर के लिए रवाना हुए। वहां पहुंचकर सभी ने गंधेश्वर महादेव को जल अर्पित कर पूजा- अर्चना की,बाद यहां से पत्रकार परिवार के सदस्य वाल्मीकि आश्रम तुरतुरिया पहुंचे, सदस्यों ने यहां सुरम्य जंगल के बीच स्थित आश्रम के इस प्राकृतिक मनोरम स्थल का दर्शन किया। साथ गये बच्चे भी लव कुश के जन्मस्थली से वाकिफ हुए। यहां बच्चों ने देखा कि पहाड़ की ऊंचाई से पानी का एक स्रोत निकलकर गौमुख से धरती पर झरता है। कहा जाता है कि उस पानी में नहाने से बहुत सी त्वचा जन्य बीमारियां जड़ से खत्म होती हैं। आज भी इस आश्रम में सीता रसोई और वाल्मीकि तपोस्थल का दर्शन करने हजारों की तादात में लोग दूर-दूर आते हैं। यहां रविवार को मेले जैसा माहौल था। जमीन पर छोटे-छोटे दुकानों में मिष्ठान, नमकीन, खिलौने और प्रसादी के अलावा बच्चों के लिए रंग बिरंगे खिलौने बिक रहे थे।

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हजारों लोग जंगल के बीच ही भोजन पका रहे थे। पत्रकारों के परिवार ने भी यहां भोजन किया और बारनवापारा अभ्यारणय के लिए रवाना हुए।  यह पहुचने पर सदस्य जिप्सी कार के माध्यम से अभ्यारण्य भ्रमण के लिए निकले। हमारे साथ मौजूद गाईड ने बताया कि अभयारण्य   उत्तर.पूर्वी कोने पर एक विशाल,निचली  भाग और ऊंची पहाडिय़ों से घिरा हुआ है। इस जंगल के पूरे हिस्से में नदियों के जल का स्रोत है। बालमदेही नदी पश्चिमी सीमा, जोंक नदी अभयारण्य की उत्तर.पूर्वी सीमा बनाती है। अच्छी तरह से भंडारित वनों को चाय, साल और मिश्री में वर्गीकृत किया गया है। यह अभयारण्य गौर, चीतल, सांभर, नीलगाय, जंगली सुअर और मोर के अलावा बंदरों को बेहद प्रिय है। बारनवापारा में 150 से अधिक प्रजातियों के पक्षियों को बढ़ावा मिला है। छत्तीसगढ़ का यह क्षेत्र दक्षिण कोशल के नाम से जाना जाता है। यहां रामायण और महाभारत दोनों युगों के अवशेष मिले हैं।

यहां पहुंचने के लिए पहाडा़ें पर कच्चे रास्ते बने हैं।बारनवापारा में पत्रकार परिवार ने दो कुमकी हाथियों को भी देखा। दोनों थोड़ी-छोड़ी दूरी पर एक पेड़ में संकल के सहारे बंधे हुए थे। इनमें से एक बूढ़े और शांत हाथी का नाम अर्जुन और युवा तथा गुस्सैल हाथी का नाम परशु रखा गया है। जब प्रेस क्लब परिवार वहां पहुंचा, दोनों हाथियों को उनका महावत खाना खिला रहा था। दोनों ही दंतैल को बार अभ्यारण्य के वन भैंसों को अन्य जिले में भेजने के उद्देश्य से यहां लाया गया है।  प्रेस क्लब द्वारा आयोजित इस पारिवारिक मिलन  कार्यक्रम में भ्रमण के दौरान सभी सदस्यों और उनके परिवार जनों दिनभर अपने - अपने काम कि चिंता से दूर खूब मौज मस्ती की। इस पारिवारिक भ्रमण में प्रेस क्लब अध्यक्ष श्रीमती उत्तरा विदानी, महासचिव विपिन दुबे, कोषाध्यक्ष विजय चौहान, उपाध्यक्ष संजय यादव ,श्रीमती शोभा शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार बाबूलाल साहू,केपी साहू,  प्रभात महंती, अजय पांडे, आशीष साहू,राकेश झाबक, दिनेश पाटकर,प्रज्ञा चौहान, छविराम साहू, पोषण कन्नौजे, कुंजू रात्रे सपरिवार शामिल हुए।

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