बेमेतरा

क्या है सखी वन स्टॉप सेन्टर, हजारों बेसहारा महिलाओं का सहारा बनी...

क्या है सखी वन स्टॉप सेन्टर, हजारों बेसहारा महिलाओं का सहारा बनी...

'द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा' से साभार 

हिंसा से प्रभावित महिलाओं के लिए चिकित्सा, विधिक, पुलिस, परामर्श एवं आपातकालीन आश्रय की सुविधा उपलब्ध

बेमेतरा : सखी वन स्टॉप सेंटर महिलाओं की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए 24 घंटे चलने वाली संस्था है। सखी वन स्टाप सेंटर बेमेतरा में 8 मार्च 2017 से संचालित हो रही है। सखी वन स्टाफ सेंटर में शोषण, हिंसा या अन्य किसी भी प्रकार के समस्या से प्रभावित महिलाओं को चिकित्सा, विधिक पुलिस, परामर्श एवं आपातकालीन आश्रय की सुविधा प्रदान करती है। बेमेतरा में सखी वन स्टाफ सेन्टर योजना प्रारंभ से अब तक 1520 प्रकरण दर्ज किया गया है। जिसमें 1489 प्रकरण पर सफलतापूर्ण निराकृत किए गए और 31 प्रकरण लंबित है, अब तक 637 पीड़ित महिलाओं को आपातकालीन आश्रय दिया गया है। महिलाओं को एकीकृत रूप से सहायता उपलब्ध कराने के लिए भारत शासन, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा राज्य सरकार की सहायता से प्रदेश के जिलों में वन स्टाप सेंटर संचालन की स्वीकृति दी गई है। वन स्टाप सेंटर में एक ही छत के नीचे सभी वर्ग की महिलाओं (18 वर्ष से कम उम्र की बालिकाएं भी सम्मिलित है) को सलाह, सहायता, मार्गदर्शन एवं संरक्षण प्रदान किया जाता है। सखी वन स्टाप सेंटर में 11 कार्यकर्ताओं का सेटअप है जिसमें सभी महिलाएं नियुक्त रहती है ।

सखी वन स्टाप सेन्टर में घरेलू हिंसा, लैंगिक हिंसा, बलात्कार, टोनही के नाम पर प्रताड़ित भू्रण हत्या, सती प्रथा, बाल विवाह, दहेज प्रताड़ना, संपत्ति विवाद, व्यक्तिगत वाद-विवाद, धोखाधडी छेड़छाड़, मानसिक रोगी, नशे की हालात, प्रेम-प्रसंग, स्वास्थ्य समस्या, भटकती अवस्था, मानसिक प्रताड़ना, भरण पोषण, आपातकालीन आश्रय आदि किसी भी हिंसा का सभी वर्ग की महिलाओं को सलाह, सहायता, मार्गदर्शन एवं संरक्षण दिया जाता है। जिले में 52 महिलाओं का घरेलू हिंसा डी.आई. आर. प्रस्तुत किया गया है। 73 प्रकरण को विधिक सेवा प्राधिकरण से विधिक सहायता दी गई। 219 प्रकरण में पुलिस सहायता दी गई, 30 प्रकरण में जिन पीड़ित महिलाओं के ससुराल से घरेलू हिंसा के चलते ससुराल वाले महिला से बच्चा छीनकर अपने पास रख लेते है उन महिलाओं के ससुराल जाकर उसके बच्चे को उन्हें वापस दिलाया गया। 9 प्रकरण में पीड़ित महिलाओं बालिकाओं को विधिक सेवा प्राधिकरण से क्षतिपूर्ति राशि दिलाई गई। 118 प्रकरण में दहेज वापसी कराया गया, 48 प्रकरण में जिन महिलाओं को उसके ससुराल में मारपीट कर घर के अन्दर बन्द करके रखा गया था, उसको रेस्क्यू कर उसके ससुराल वालों को समझाईश दी गई, 26 विक्षिप्त महिलाओं को ईलाज हेतु सेन्दरी बिलासपुर एवं 2 महिलाओं को रिम्स नया रायपुर भेजा गया। 62 प्रकरण में चिकित्सा सहायता देते हुए स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया।

आवेदिका स्वयं या सरपंच कोटवार गांव का कोई वरिष्ठ नागरिक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता या पुलिस किसी के भी माध्यम से अपनी शिकायत दर्ज करा सकती है। आवेदिका की शिकायत मिलने पर आवेदिका की मांग पर अनावेदक पक्ष को काउंसलिंग हेतु सखी वन स्टाफ सेंटर में बुलाया जाता है और दोनो पक्षों का काउंसलर द्वारा काउंसलिंग की जाती है। काउंसलिंग के पश्चात दोनो पक्षो द्वारा आपसी सामंजस्य हो जाने पर आपस में दोनों पक्षों द्वारा राजीनामा किया जाता है और दोनो पक्ष एक साथ निवास करते है। आवेदिका के पुनर्वास के बाद भी सखी कार्यकर्ताओं द्वारा फोन के माध्यम से फालोअप भी लिया जाता है।

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