दुर्ग

कल्कि धाम देशभर के श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक- अभिषेक वर्मा

कल्कि धाम देशभर के श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक- अभिषेक  वर्मा

मनोज शुक्ला

संभल- आज कल्कि धाम में शीला दान कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें शिवसेना के वरिष्ठ नेता अभिषेक वर्मा सपरिवार शामिल हुए  और अपनी पुज्य माता जी के नाम पर शीला दान किया और पुज्य शंकराचार्य सदानंद सरस्वती जी महाराज और कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम जी महाराज का आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर बोलते हुए अभिषेक वर्मा ने बोला कि आज का दिन मेरे जीवन के उन दुर्लभ, दिव्य और ऐतिहासिक पलों में से है जिसे शब्दों में बाँधना कठिन है।

हम सब यहाँ एक ऐसे महायज्ञ के प्रारंभिक क्षण के साक्षी बन रहे हैं, जिसका उद्देश्य केवल ईंट, पत्थर और संरचना का निर्माण नहीं है, बल्कि यह एक धार्मिक पुनर्जागरण का संदेश है, एक ऐसी चेतना का उद्घोष है जो धर्म, न्याय और सत्य के अवतार, भगवान श्री कल्कि को समर्पित है।

हिंदू धर्म के अनुसार, जब धरती पर अधर्म अपने चरम पर होता है, जब पाप और पाखंड का अंधकार हर दिशा में छा जाता है, तब स्वयं नारायण कल्कि रूप में अवतरित होते हैं। यह अवतार केवल संहार नहीं करता, वह सत्य, धर्म और मर्यादा की पुनर्स्थापना करता है।

पिछले कुछ दशकों से कुछ कट्टरपंथी विदेशी ताकतें योजनाबद्ध ढंग से भारत की एकता, अखंडता और सनातन संस्कृति को कमजोर करने में जुटी हैं। यह षड्यंत्र कभी जनसंख्या असंतुलन के रूप में, कभी जिहाद जैसे माध्यमों से, तो कभी कट्टरता और अलगाववाद को हवा देकर सामने आता है। 

लेकिन भारत केवल एक भूखंड नहीं, बल्कि एक धर्मखंड है, जहाँ सनातन धर्म की आत्मा बसती है। ऐसे में कल्कि धाम केवल आस्था के केंद्र नहीं, बल्कि उन राष्ट्रविरोधी ताक़तों के विरुद्ध हमारी वैचारिक और आध्यात्मिक चेतना के दुर्ग बनेंगे।

कल्कि धाम, केवल एक मंदिर नहीं होगा, यह एक प्रतीक होगा उस सनातन चेतना का, जो हजारों वर्षों से हमें जोड़ती आई है। यह धाम आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा कि कैसे अधर्म के विरुद्ध खड़ा होना भी एक आध्यात्मिक कर्म होता है।

इस महान परियोजना के सूत्रधार आचार्य प्रमोद कृष्णन जी। आचार्य जी को मैं 1990 के दशक के आरंभ से अपना मार्गदर्शक मानता आया हूँ, जब मैं मात्र 25 वर्ष का था। उनका सान्निध्य, उनकी दूरदृष्टि, और उनकी धर्मनिष्ठा ने मेरे जीवन को गहराई से प्रभावित किया है। मैं पूज्य शंकराचार्य जी और आचार्य प्रमोद कृष्णन जी के चरणों में कृतज्ञता अर्पित करता हूँ कि उन्होंने मुझे इस ऐतिहासिक अवसर पर कुछ शब्द कहने का सौभाग्य प्रदान किया।

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