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नई दिल्ली : नवरात्रि के व्रत धार्मिक आस्था के साथ-साथ सेहत के लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। इस दौरान मौसम के मिजाज में बदलाव के साथ शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर हो जाती है। जिसकी वजह से व्यक्ति के बीमार पड़ने की आशंका काफी हद तक बढ़ जाती है। ऐसे में नवरात्रि के दौरान आपकी डाइट में शामिल सात्विक और सुपाच्य भोजन शरीर को न सिर्फ आवश्यक पोषण देने का काम करता है बल्कि शरीर को मजबूती भी प्रदान करता है। बावजूद इसके सेहतमंद बने रहने के लिए नवरात्रि व्रत में फलाहार करते समय कुछ सावधानियां बरतना बेहद जरूरी है।
फलों से कर लें दोस्ती-
भागदौड़ भरी लाइफस्टाइल के चलते लोग अक्सर सबसे ज्यादा अनदेखी अपनी डाइट के साथ करते हैं। अगर आप भी उन लोगों में शामिल हैं जो खराब डाइट के लिए अपनी लाइफस्टाइल को दोष देते हैं तो बहाने छोड़िए इन दिनों मिलने वाले मौसमी फलों का स्वाद चखिए। सेब, नाशपाती, केला और सिंघाड़े ऐसे ही मौसमी फलों की लिस्ट में शामिल हैं। इनका सेवन करने से शरीर में व्रत के दौरान ऊर्जा बनी रहती है।
मिर्च-मसालों और तेलों से करें परहेज-
व्रत के दौरान भोजन बनाते समय कम मसालों और तेल का प्रयोग करना चाहिए। तेज मसालों का सेवन करने से शरीर में गर्मी उत्पन्न होती है। उदाहरण के लिए खाना बनाने के लिए तेल की जगह देसी घी या मूंगफली के तेल का इस्तेमाल करें, साधारण नमक की जगह सेंधा नमक का प्रयोग करने से भी शरीर को फायदा होता है।
डेयरी उत्पाद-
व्रत के दौरान दूध, दही और पनीर के सेवन पर विशेष जोर दिया जाता है। इनसे शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है और पाचन-तंत्र भी दुरुस्त बना रहता है। वैसे आप चाहें तो सफेद मक्खन, मलाई, खोया और छाछ का सेवन भी कर सकती हैं।
स्नैक्स टाइम व्यंजन-
शाम की चाय के दौरान आप रोस्टेड मखाने या मूंगफली खा सकती हैं या खरबूजे के बीजों का सेवन भी किया जा सकता है। अगर साबूदाने के वड़े बना रही हैं, तो उसके साथ मीठी सौंठ तैयार की जा सकती है, जिससे उसमें एक बढ़िया खट्टा-मीठा फ्लेवर आ जाएगा।
इन चीजों से करें परहेज-
नवरात्र के दौरान पूरी तरह सात्विक आहार व दिनचर्या पर बल दिया जाता है। इन नौ दिनों में प्याज व लहसुन का सेवन बिलकुल वर्जित हो जाता है, साथ ही मांसाहार और अंडे को भी लोग त्याग देते हैं। व्रत नहीं करने वाले लोग साधारण तरीके से बना हुआ सभी प्रकार का सात्विक भोजन कर सकते हैं, लेकिन जो लोग व्रत रखते हैं, उन्हें गेहूं, चावल, सूजी, बेसन, मैदा और सभी प्रकार की दालों को नौ दिनों के लिए त्यागना पड़ता है।