लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में अल्पसंख्यक कोटे का फायदा उठाने के लिए कुछ छात्रों द्वारा फर्जी तरीके से बौद्ध और जैन बनने का मामला सामने आया है। इन छात्रों ने प्रवेश के दौरान निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना, अल्पसंख्यक कोटे की सीटों पर दाखिला ले लिया। अब इस मामले की जांच शुरू कर दी गई है और दोषी पाए जाने वाले छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की तलवार लटक रही है।
राज्य के 6 अल्पसंख्यक कॉलेजों में एमबीबीएस की 475 और एमडीएस की 150 सीटें हैं। इन कॉलेजों में दाखिला लेने के लिए छात्रों को अल्पसंख्यक (मुस्लिम, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई) का प्रमाण पत्र जमा करना होता है।
हालांकि, कई छात्रों ने निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया, जिसके तहत उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिशेध अधिनियम 2021 के अनुसार धर्म परिवर्तन से 60 दिन पहले आवेदन करना होता है। इसके बाद 30 दिनों तक आपत्ति ली जाती है और फिर प्रमाण पत्र जारी होता है। जांच में सामने आया कि करीब 22 छात्रों ने इस प्रक्रिया का पालन किए बिना बौद्ध और जैन धर्म अपनाकर दाखिला लिया। इनमें से 17 छात्रों के दाखिले की पुष्टि हो चुकी है। अब इन छात्रों के दाखिले रद्द करने की तैयारी चल रही है, जबकि अन्य छात्रों की जांच जारी है।
- फर्जी प्रमाण पत्रों का मामला उजागर
प्रमाण पत्रों की जांच के बाद 17 छात्रों के फर्जी प्रमाण पत्र का मामला सामने आया है। इसके बाद प्रशासन ने काउंसिलिंग के अगले चरण में विशेष सावधानी बरतने के निर्देश दिए हैं। प्रमाण पत्र सत्यापन प्रक्रिया को सख्त करते हुए जिलाधिकारी के माध्यम से सत्यापन कराए जाएंगे।
- कम मेरिट पर भी हो जाता है दाखिला
अल्पसंख्यक कोटे की सीटों पर कम मेरिट वाले छात्रों का भी दाखिला हो जाता है क्योंकि इन सीटों की मेरिट अल्पसंख्यक वर्ग के छात्रों की संख्या के आधार पर तय की जाती है।
- अधिकारियों को किया गया अलर्ट
डीजीएमई ने गृह विभाग और अल्पसंख्यक विभाग को मामले की जानकारी दी है। इसके बाद सभी संबंधित विभागों को अलर्ट कर दिया गया है ताकि भविष्य में ऐसे फर्जीवाड़े से बचा जा सके।(एजेंसी)