Aircraft C-295: भारत ड्रोन शक्ति 2023 कार्यक्रम में आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शामिल हुए. खास बात ये है कि इस कार्यक्रम में C-295 टेक्निकल मिलिट्री एयरलिफ्ट प्लेन भी सोमवार (25 सितंबर) को भारतीय वायुसेना का हिस्सा बन गया है. चलिए आपको बताते हैं इसकी क्या खासियत है और इसके जुड़ने से क्या कुछ फायदा होगा.
लगभग दो साल के इंतजार के बाद, भारतीय वायु सेना को 13 सितंबर को पहला एयरबस सी-295 एयरक्राफ्ट मिला था. आज इसे भारतीय वायुसेना में शामिल कर लिया गया है. यह इंडियन एयरोस्पेस के लिए एक गेम-चेंजिंग मील का पत्थर साबित होगा.
क्या है C-295 की खासियत?
लगभग 24.46 मीटर लंबाई और लगभग 8.66 मीटर ऊंचाई पर मापे गए, एयरबस सी-295 का विंगस्पैन लगभग 25.81 है और अधिकतम भार 7,050 किलोग्राम है.
यह एयरक्राफ्ट को लगभग 260 समुद्री मील की अधिकतम क्रूज स्पीड पर लगभग 70 सैनिकों को ले जाने की अनुमति देता है.
दो प्रैट एंड व्हिटनी कनाडा PW127G इंजनों की तरफ से संचालित, विमान 13 घंटे तक हवा में रह सकता है, जिससे यह पुष्ट होता है कि इसकी उपस्थिति भारतीय वायु सेना के बेड़े को मजबूत करेगी.
इसमें मिलिट्री ट्विन टर्बोप्रॉप ट्रांसपोर्टर के पास बहुत छोटे रनवे पर उतरने और उड़ान भरने की क्षमता भी है. यह कच्ची, नरम, रेतीली या घास वाले रनवे में भी आसानी से लैंड कर सकता है.
खास बात ये है कि C-295 डिपार्चर के लिए केवल 670 मीटर रनवे के साथ और इसे उतरने के लिए केवल 320 मीटर की जरूरत है. यह एयरक्राफ्ट आम तौर पर दुर्गम या पहाड़ी क्षेत्रों में जरूरत का सामान पहुंचाने के लिए काम आएगा.
रियर रैंप डोर के साथ, एयरक्राफ्ट स्पीड के साथ टर्नअराउंड और पैरा-ड्रॉपिंग कार्गो या सैनिकों के लिए अत्यधिक विश्वसनीय है. भारतीय वायु सेना के अनुरोध के अनुसार, इसके सी-295 को स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट के साथ स्थापित किया जाएगा.